ऐसे कई आविष्कार हैं, लिखने के लिए प्रयोग किये जाने वाले पेपर (Paper) की खोज पहली बार किसने और कहाँ कि थी पेपर का इस्तेमाल तो आज पूरी world में हो रहा है आपको पेपर (Paper) के इतिहास के बारे में पता है कि Paper का आविष्कार किसने कब और कैसे किया? भारत में Paper का invented किसने किया और कब, answer जाने जिनके बिना हम रह सकते हैं। पेपर का आविष्कार कब किसने और कैसे किया जाने पूरा इतिहास,

कल्पना करें कि पेपर (Kalpna kare paper)
कई ऐसे भी हैं, जिनके बिना हम नहीं रह सकते। हमारे life को पूरी तरह से बदल देने वाले invented में से एक Paper का avishkar था। Paper के बिना, हम अब जितनी आसानी से जानकारी साझा नहीं कर पाएंगे।
कल्पना करें कि हमें जानकारी को रिले करने के लिए मुंह के शब्द पर भरोसा करने की आवश्यकता होगी। चट्टानें तथा गुफाओं की दीवारें आज भी प्रागैतिहासिक धरोहर के रूप में सम्पूर्ण world में मनुष्य की अभिव्यक्ति के प्रयासों को सुरक्षित रखे हुए हैं।
धीरे-धीरे लिपियों का विकास हुआ तथा इनको आलिखित करने के लिए माध्यम की आवश्यकता पड़ी। जब मनुष्य को धातुओं का Gyan हुआ, तब सीसे, तांबे, pital या कांसे के पत्रों पर लिखने का प्रयास हुआ। यह कार्य अत्यंत कठिन तो था,
परन्तु इनके स्थायित्व के कारण Important विषयों तथा नियमों को दीर्घ काल तक सुरक्षित रखने के उद्देश्य से इनका उपयोग किया गया। लेकिन जिस खोज ने आलेखन के माध्यम को पूरी तरह बदल दिया वह था अब, कल्पना करें कि यदि आपको किसी दूर Country में किसी व्यक्ति को सूचना भेजना था, तो आपकी जानकारी बस उसी तरह से खो सकती है।

पेपर का आविष्कार इतिहास (Paper ka aviskar)
यह माना जाता है कि जिन लोगों ने पेपर का आविष्कार (Paper ka aviskar) किया था, वे मिस्र के थे, लगभग 3500 ई.पू। उस समय का पेपर (Paper) पपीरस रीड्स से बना था, जिसे पतली The strips में काट दिया जाएगा और पानी में भिगोया जाएगा जिसमें चीनी की मात्रा अधिक थी।
यह तब लुगदी बन जाएगा, जिसे पपीरस की चादर बनने के लिए सुखाया जाएगा। ‘Paper’ शब्द भी पेपरियस शब्द से आया है। फिर भी, Paper का अस्तित्व जो आज के काग़ज़ से बहुत अधिक समान है, चीन से आया था।
Paper का avishkar होने से पहले, चीनी बांस या रेशम चर्मपत्र पर लिखते थे, जो बस भारी या अव्यवहारिक होते थे, जिन्हें इधर-उधर ले जाया जाता था। फिर, त्साई लुन नाम के एक कबाड़ ने, जो इंपीरियल कोर्ट ऑफ सम्राट हान हो टाय में विनिर्माण उपकरणों के प्रभारी थे,
पेपर का आविष्कार (Paper ka aviskar) किया था और इसके उत्पादन का मानकीकरण किया था। इस avishkar के साथ, वह एक अमीर अभिजात बन गया, हालांकि बाद में, वह कुछ महल योजना में शामिल था, जहाँ उसे जेल भेज दिया गया और ख़ुद को ज़हर देकर मार दिया।
आविष्कार कब किसने और कैसे किया (Paper ka aviskaarkab kisne)
त्साइ लुन को यह विचार कैसे आया जब उन्होंने एक ततैया को अपना घोंसला बनाते हुए देखा, जहाँ उसने शहतूत के पेड़ की छाल, बांस के रेशों और लत्ताओं का उपयोग करके उसी तरह से Paper बनाने का विचार अपनाया, जो पानी में मिलाया गया था।
फिर चीर के एक टुकड़े पर सूखा। जब यह सूख जाता है, यह एक प्रकाश लेखन सतह पैदा करेगा। त्सै लुन ने सम्राट हान हो तिवारी को avishkar प्रस्तुत किया और बाक़ी इतिहास था। सन् 105 में काई लुन ने ही सम्राट के दरबार में इसका आख्यान भी किया था।
इसके लिए शहतूत तथा अन्य पेड़ों की छाल, मछली पकड़ने के पुराने जाल, पुराने वस्त्र तथा अन्य रेशेदार पदार्थों से रेशों को अलग कर उन्हें पानी में मिलाया जाता था और एक पतली परत के रूप में सुखा लिया जाता था।
पेपर के खोजकर्ता कैसे किया (Paper ke khojkrta)
पेपर के खोजकर्ता काई लुन Paper बनाने की यह कला जापान (सन् 610) और फिर समरकंद (सन् 751) , बगदाद (सन् 793) , दमिश्क, मिश्र तथा मोरक्को होते हुई मूरों के साथ यूरोप पहुँची। यूरोप में सबसे पहले काग़ज़ का निर्माण सन् 1150 में स्पेन में हुआ।
फिर क्रमशः इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, पोलैंड, आस्ट्रिया, रूस, डेनमार्क तथा नॉर्वे में काग़ज़ निर्माण का उल्लेख मिलता है। स्पेनवासी काग़ज़ बनाने के ज्ञान को अपने साथ उत्तरी अमेरिका ले गये तथा मेक्सिको सिटी के पास काग़ज़ उद्योग स्थापित हुआ।
संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली पेपर (Paper) मिल सन् 1690 में विलियम रिटन हाउस के प्रयासों द्वारा जर्मनटाउन पेंसिलवेनिया में बनी। कनाडा की पहली फैक्ट्री सन् 1803 में सेंट एंड्रयूज, क्यूबिक में स्थापित हुई. यह इतना Paper बना लेती थी,
मोंट्रियल गजट नामक पत्रिका इस पर छापी जा सके. काग़ज़ बनाने के ये सभी ऐतिहासिक प्रयास मूल रूप से चीनी पद्धति पर आधारित थे। जब तक अविराम गति से Paper बनाने की मशीनें नहीं बनी, Paper के चैकोर पत्र एक-एक कर बनते थे। आज भी हाथ से बना पेपर (Paper) इसी विधि द्वारा बनता है।

पेपर बनाने की तकनीक (Fast paper banane ki taknik)
दूसरी यह थी कि इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मशीनीकरण की आवश्यकता पड़ी। तीसरी यह थी कि मशीनों के लिए कच्चे माल की बढ़ती हुई आपूर्ति की खोज में वृक्षों का काष्ठ एक उपयोगी विकल्प सिद्ध हुआ। यह एक नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन था। उन्नीसवीं सदी के आरंभ में एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक को इसका श्रेय जाता है।
जिसने लकड़ी को पीटकर उसके रेशों को पृथक किया तथा उससे काग़ज़ का निर्माण किया। उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में रसायन विज्ञान के अभूतपूर्व विकास ने काष्ठ को पल्प में बदलने का मार्ग प्रस्तुत किया,
क्योंकि पल्प निर्माण की रासायनिकी स्पष्ट हो चुकी थी। यह लगने लगा था कि रसायन शास्त्र तथा काग़ज़ उद्योग का सम्बन्ध बहुत गहरा है। पेपर (Paper) बनाने की वर्तमान तकनीक में तीन प्रमुख घटकों की सम्मिलित भूमिका रही है।
पहली तो यह थी कि जैसे-जैसे अधिक काग़ज़ उपलब्ध होने लगा सर्वसाधारण की पढ़ने-लिखने की जिज्ञासा भी बढ़ती गई. सन् 1450 में योहानेस गुटेनबर्ग द्वारा छपाई की मशीन के आविष्कार ने छपी हुई पठन-सामग्री को अधिक सुलभ बना दिया था। फल यह हुआ कि काग़ज़ की मांग उत्तरोत्तर बढ़ने लगी। यह आवरण रेशों की भांति एक पदार्थ था जिन्हें सावधानी से आड़े-तिरछे रखकर दबाया जाता था।
घास से उपलब्ध रेशों के साथ गोंद की तरह प्राकृतिक पदार्थ भी रहता था जो इन रेशों को परस्पर जोड़ने का काम करता था। सूखने पर उपलब्ध पदार्थ काग़ज़ के पत्रों के रूप में प्राप्त होता था। यह कार्य कई शताब्दियों तक लिखने का माध्यम बना रहा। कालान्तर में ‘पेपर’ शब्द की उत्पत्ति इसी ‘पेपिरस’ (Papyrus) से हुई।
प्राचीन समय में पेपर के रूप (Prachin samy me paper)
सुमेरियन सभ्यता में चिकनी मिट्टी के बने पत्रों पर आलेखन कार्य की प्रथा थी। 6000 वर्ष पूर्व के इनके अवशेष पूर्वी भूमध्यसागरीय देशों में आज भी मिलते हैं। परन्तु लेखन के माध्यम के रूप में इन सब प्रयासों की अपनी सीमा थी।
आज से 5000 वर्ष पूर्व मिस्र में नील नदी के किनारे प्रचुरता से प्राप्त होने वाली पैपरिस नामक घास के डंठलों के बाहरी आवरण से एक प्रकार का Paper बनाया जाता था। प्राचीन रोम तथा यूनान में लकड़ी की पतली तख्तियों को जोड़कर पुस्तक का रूप दिया गया।
इन तख्तियों को जोड़कर पुस्तक का रूप दिया गया। इन तख्तियों के ऊपर मोम या अन्य पदार्थों का आवरण चढ़ाया जाता तथा धातु की लेखनी से लिखने का कार्य किया जाता था। यूनान में इन पुस्तकों को कोडिस कहा जाता था।
पत्तों तथा भोजपत्र पर लेखन (Fast lekhan)
ताड़ के पत्रों तथा भोजपत्र पर अंकित अनेक दुलर्भ ग्रंथों की प्राचीन प्रतिलिपियाँ आज भी अनेक निजी तथा संस्थागत संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। प्राचीन रोमन जिस वृक्ष की छाल का उपयोग करते थे, वह लिबर कहलाता था। इसी से book के लिए प्रयुक्त लैटिन शब्द लिबर का जन्म हुआ।
आगे चलकर लाइब्रेरी शब्द की उत्पत्ति इसी से हुई. india तथा इसके पड़ोसी देशों में ताड़ के पत्तों तथा भोजपत्र पर लेखन किया गया। भोजपत्र पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक वृक्ष है जिसके तनों की छाल Paper की तरह पतली तथा हल्के रंग की परत से लिपटी रहती है।
वृक्ष इस परत को स्वयं छोड़ते रहते हैं। इस परत को ही भोजपत्र (Birch Bark) कहते हैं तथा इसे निकालने से पेड़ को कोई हानि नहीं पहुँचती। आगे चलकर इन्हीं पत्रों के नाम पर काग़ज़ के पत्र को लीफ कहा जाने लगा।
लिखने तथा चित्रकारी के लिए उपयोग (Fast paper ka upyog)
यूनान में लगभग 4000 वर्ष पूर्व भेड़, बकरी इत्यादि जानवरों की खाल से पार्चमेंट बनाया गया था। इसके लिए खाल को साफ़ कर बाल हटा लिये जाते थे। तत्पश्चात खुरचकर इसकी दोनों सतहों को समतल बनाया जाता तथा अंत में प्यूमिस के चूर्ण से रगड़कर चिकना बना लेते थे।
पार्चमेंट का उपयोग इस पर लिखने के लिये किया जाता था। यह एक सुदृढ़ तथा दीर्घस्थायी पदार्थ है। चीन में 250 ईस्वी पूर्व में बुने हुए कपड़े को लिखने तथा चित्रकारी के लिए उपयोग किया जाता था।
आलेखन के लिए ऊंट के बालों से बने ब्रुश तथा एक स्याही का उपयोग किया गया। इस कपड़े को मोड़कर बेलनकार वर्तिलेख के रूप में रखा जा सकता था। यही पुस्तक का तत्कालीन और प्रथम आकार था।
कागज के इतिहास के बारे में (Kagaj ka etihash)
कागज (Paper) का इस्तेमाल तो आज पूरी world में हो रहा है लेकिन क्या आपको काग़ज़ के इतिहास के बारे में पता कि काग़ज़ का avishkar किसने, कब कैसे किया india में काग़ज़ का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ?
आज हम आपको काग़ज़ के इतिहास की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आज काग़ज़ के बिना हमारे सभी काम अधूरे हैं, चाहे बच्चों की पढाई हो या बैंक, व्यापार, ऑफिस आदि का काम सभी काग़ज़ बिना संभव नहीं हैं।
कागज को बनाने में घास फूंस, लकड़ी, कच्चे माल, सेलुलोज-आधारित उत्पाद का इस्तेमाल होता है। Cai Lun द्वारा किये गए Paper के आविष्कार से पहले लेखन के लिए आम तौर पर बांस या रेशम के टुकड़े काम में लिए जाते थे लेकिन परेशानी ये थी की रेशम काफ़ी महंगा था और बांस काफ़ी भारी होता था। इसके बाद Cai Lun ने ऐसा काग़ज़ बनाने की सोची जो सस्ता हो और लेखन में आसान हो।
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उस समय Cai Lun ने भांग, शहतूत, पेड़ के छाल तथा अन्य तरह के रेशो की सहायता से काग़ज़ का निर्माण किया था। ये काग़ज़ चमकीला, मुलायम, लचीला और चिकना होता था। इसके बाद काग़ज़ का इस्तेमाल धीरे-धीरे पूरी दुनिया में होने लगा। इस उपयोगी आविष्कार के कारण ही Cai Lun को “कागज का संत” भी बोला जाता है।
भारत में काग़ज़ के निर्माण और उपयोग (India me kagaj nirman)
india में paper की खोज ये बात तो स्पष्ट हो गई की काग़ज़ का avishkar चीन में हुआ लेकिन चीन के बाद भारत ही वह देश है जहाँ paper बनाने और इस्तेमाल किये जाने के प्रमाण मिले। सिंधु सभ्यता के दौरान lndia में काग़ज़ के निर्माण और उपयोग के कई प्रमाण सामने आये हैं।
जिनसे ये साबित होता है कि चीन के बाद india में ही सर्वप्रथम paper का निर्माण और उपयोग हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस खोज के बाद से ही पूरी दुनिया में काग़ज़ का इस्तेमाल व्यापक रूप में होने लगा था।
भारत में काग़ज़ बनाने की सबसे पहली मिल कश्मीर में लगाई गई थी जिसे वहाँ के सुल्तान जैनुल आबिदीन ने स्थापित किया था। सन 1887 में भी काग़ज़ बनाने वाली मिल स्थापित की गई थी जिसका नाम था टीटा काग़ज़ मिल्स लेकिन ये मिल काग़ज़ बनाने में असफल रही।
आधुनिक काग़ज़ का उद्योग कलकत्ता में हुगली नदी के तट पर बाली नामक स्थान पर स्थापित किया गया। उम्मीद है जागरूक पर पेपर का आविष्कार कब किसने और कैसे किया जाने इतिहास ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।
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