भारत में टेलीफोन की शुरुआत (Bharat mein doorsanchar Sevayo) पहले दूरभाष प्रणाली, टेलीग्राफ का आविष्कार जैसे-जैसे विज्ञान में विकास होता गया एवं नयी-नयी तकनीकें शामिल होती गईं, टेलीफोन एक्सचेन्ज में भी परिवर्तन होते गए। भारत में दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत और टेलीफोन बॉक्स का आविष्कार कब और कहाँ? टेलीफोन दूरसंचार नेटवर्क, दूरभाष (भारत के संदर्भ में) आदि जानकारी आप इस पोस्ट में पड़ेगे।
दूरभाष और टेलीग्राफ (Doorsanchar And Telegraph)
दूरभाष (टेलीफोन) अपने प्रथम चरण में विविधता से पूर्ण था। शुरू-शुरू में लिक्विड टांसमीटर्स के सहारे एक दूसरे की बातें सुनी जाती थीं। 20 वीं शताब्दी में लोकल बैटरी को सामान्य (common) बैटरी में तब्दील किया गया जिसे ‘टॉक बैटरी’ का नाम दिया गया।
पहले दूरभाष प्रणाली एक ही तार पर आधारित थी जिसे टेलीग्रॉफ के अनुरूप कहा जा सकता है। टेलीग्राफ का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक सैम्युअल मोर्स ने सन् 1837 ई. में किया था। यह संदेश भेजने की ऐसी प्रणाली है जिसमें तारों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे ‘तारयंत्र’ भी कहते हैं।
विद्युत चुम्बकीय प्रभाव संचालित टेलीग्रॉफ से एक-दूसरे स्थान तक ‘डैश’ (-) और ‘ डॉट (…) की भाषा में समाचार प्रेषित किए जा सकते हैं। दूसरी ओर प्राप्त डॉट और डैशों को डिकोड करके मूल संदेश को पढ़ा जा सकता है टेलीग्राफ के तीन भाग होते हैं-प्रेषक, लाइन का तार और ग्राहक।
टेलीफोन एक्सचेंज (Telephone Exchange)
जैसे-जैसे विज्ञान में विकास होता गया एवं नयी-नयी तकनीकें शामिल होती गईं, टेलीफोन एक्सचेन्ज में भी परिवर्तन होते गए। नवीन टेक्नोलॉजी से युक्त सीमेन्स एवं एन.ई.ए. एक्स 61 कम्पनियों का दूरभाष के प्रचार-प्रसार में बड़ा योगदान है।
सीमेन्स जर्मनी से आयातित नई तकनीक का एक महत्त्वपूर्ण टेलीफोन एक्सचेंज है जिसमें उच्च क्षमताएँ एवं लचीलापन है। इसकी स्वीचिंग क्षमता 252000 आरलॉग है। सीमेन्स को आई. एस. डी. एन. क्षमता के अनुरूप बनाया गया है।
आई.एस.डी.एन. क्षमता के दूरभाष केन्द्र एक ही टेलीफोन लाइन पर टेलीफोन, फैक्स, डाटा सर्किट एवं कम्प्यूटर सर्किट जोड़ सकता है। इसमें सभी मानक सिंगनल सिस्टम कार्य कर सकते हैं। इसमें संक्षिप्त डायलिंग, कॉलवेटिंग, कॉल स्थानान्तरण, कान्फ्रेंस, कॉल, अलार्म कॉल, द्वेषपूर्ण काल का पता लगाना तथा डायनामिक एस.टी.डी. लाकिंग जैसी सुविधाएँ उपभोक्ता को प्रदान की जा सकती हैं।
टेलीफोन दूरसंचार नेटवर्क (Telephone Telecommunication Network)
एस.ई. ए. एक्स-61 एस जापान की ही एन.ई.सी. कम्पनी द्वारा विकसित डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स स्वीचिंग प्रणाली है। इसे विश्व के किसी भी टेलीफोन दूरसंचार नेटवर्क में स्थापित किया जा सकता है। इस प्रणाली में समय विभाजन स्विच की टर्मिनल क्षमता 480 चैनल की है,
तथा इसकी स्वीचिंग क्षमता 240 आरलॉग की है। इस प्रणाली में अधिकतम 1500 उपभोक्ता लाइनें तथा 240 ट्रेक लाइनें जोड़ी जा सकती हैं। इस प्रणाली की कॉल संभालने की क्षमता 7000 बी.एच.सी.ए. है। इसी तरह सी. डॉट। ई-10बी. आदि भी कुछ नवीनतम एक्सचेंज। प्रणालियाँ हैं।
टेलेक्स द्वारा संदेश सम्प्रेषण (Messaging Via Telex)
टेलेक्स द्वारा संदेश टंकित होकर तार अथवा रेडियो तरंगों के माध्यम से प्रेषित किया जाता है, यह संदेश को दूरस्थ स्थान पर भेजने का एक प्रचलित तरीका है, जिसे टेलीप्रिन्टर, टेलीग्राफ और टेलीफोन का मिश्रित रूप भी कहा जा सकता है।
इस मशीन से सन्देश भेजने के लिए टेलीफोन से नम्बर डायल कर दूसरे टेलेक्स से संपर्क स्थापित किया जाता है और एक विशेष पट्टी पर, टाइप किया हुआ संदेश से, संप्रेषित कर दिया जाता है। संदेश पाने वाली मशीन पर मैसेज टाइप होता रहता है।
इस मशीन की विशेषता यह है कि ग्राही मशीन के आपरेटर विहीन होने की दिशा में भी संदेश पहुँच जाता है। पत्र-पत्रिकाओं के कार्यालयों तथा व्यापारिक संगठनों में टेलेक्स का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। दूरस्थान तक संदेश भेजने के लिए यह एक कारगर आधुनिक तरीका है।
फैक्स या फैक्सीमाइल (Fax Or Facsimile)
सूचना तकनीकी की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में फैक्स को भी दूरभाष से सम्बद्ध किया जाता है। इसके माध्यम से ग्राम चार्ट, हस्तलिखित अथवा मुद्रित सामग्री को टेलीफोन नेटवर्क के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। यह संदेश वांछित प्राप्तकर्ता को छाया प्रति के रूप में प्राप्त हो जाता है।
फैक्स के द्वारा सर्वप्रथम सभी बिन्दुओं का निरीक्षण किया जाता है फिर संदेश अथवा चित्र को विद्युत संदेशों में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह कार्य फोटो सेल द्वारा होता है। फैक्स मशीन संदेश को डिकोड करके मूल संदेश को कागज पर अंकित कर देती है।
रंगीन चित्रों को फैक्स करना (Faxing Color Images)
आजकल रंगीन फैक्स मशीन भी उपलब्ध है। इसलिए रंगीन चित्रों को फैक्स करना भी आसान हो गया है। यह प्रणाली अत्यन्त शीघ्रता एवं कम लागत के लिए प्रसिद्ध है। सी.सी. आई. टी.टी. नामक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना विभिन्न देशों की फैक्स मशीनों से सम्पर्क स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। इस मशीन द्वारा पत्रकारिता, व्यापार, मौसम सम्बंधी चित्रों के संप्रेषण में अत्यधिक सुविधाएँ हैं। P वीडियो फोन
इसे फोटो फोन भी कहते हैं। इसमें एक कैमरा टी.वी. स्क्रीनसेट होता है। बातचीत के दौरान आवाज और चित्र दोनों विद्युत तरंगों में परिवर्तित होकर प्रसारित हो जाते हैं जिन्हें गंतव्य फोटो फोन द्वारा ग्रहण करके डिकोड कर लिया जाता है। इससे आवाज व चित्र अपने मूल रूप में सुनाई व दिखाई पड़ने लगते हैं।
रेडियो पेजिंग प्रणाली (Radio Paging System)
यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं अति व्यस्त लोगों के लिए अधिक लाभप्रद है। इसके माध्यम से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंसों को सफलतापूर्वक आयोजित किया जा सकता है। अनेक महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों अथवा प्रतिभागियों को वीडियो फोन से जोड़ करके उनमें सामूहिक बातचीत अथवा विचार-विमर्श करवाया जा सकता है।
दूरभाष से सम्बद्ध यह अत्यन्त आधुनिक प्रणाली है। हर वक्त ऑनलाइन बने रहने के लिए यह सस्ता और सुलभ साधन है। ऑफिस में एक जगह बैठकर काम न करने वाले फील्ड के लोगों से संपर्क करने का एक मात्र माध्यम पेजर ही है।
इसमें निश्चित पेजर कोड वाले व्यक्ति से कभी भी बातें की जा सकती हैं। ये बातें लिखित तौर पर होती हैं यानी आपका संदेश अभीष्ट व्यक्ति के पेजर स्क्रीन पर अंकित हो जाता है जिससे वह व्यक्ति तुरन्त टेलीफोन द्वारा आपसे सम्पर्क स्थापित कर सकता है।
टेलीफोन बॉक्स का आविष्कार (Invention Of The Telephone Box)
सन् 1889 में विलियम ग्रे द्वारा एक ऐसे टेलीफोन बॉक्स का आविष्कार किया गया जिसे क्वॉयन आपरेटेड पर टेलीफोन कहा गया। फ्रांस के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अंतोनिए बार्ने ने एक नयी पद्धति की खोज की जिसे रोटरी डायल्स टेलीफोन कहा जाता है।
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सन् 1941 में टोटरी डायल्स पद्धति से मिलता-जुलता बेलसिस्टम अस्तित्व में आया जिसे प्रथम ध्वनि स्पर्श पद्धति अथवा First Touch Tone System कहा गया। इस प्रणाली ने अत्यधिक महँगी होने के बावजूद दूरभाष की डायलिंग प्रक्रिया में बढ़ोत्तरी की।
साथ ही टच-टोन सिस्टम ने सन् 1960 तक आते-आते टेलीफोन के वर्तमान स्वरूप का नक्शा तैयार कर लिया था। कम लागत के ट्रांसमीटर एवं विद्युत धारा के कार्बन कणों के सहयोग से निर्मित दूरभाष का यह यंत्र आज घर-घर में परिलक्षित होता है।
दूरभाष (भारत के संदर्भ में) Telephone (With Reference To India)
टेलीग्रॉफ और टेलीफोन के आविष्कार के तुरंत बाद ही भारत में दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत हो गई थी। कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच पहली टेलीग्रॉफ लाइन 1851 में शुरू हुई। मार्च 1884 तक आगरा से कोलकाता को तार संदेश भेजे जा सकते थे। सन् 1900 ई. तक भारतीय रेलवे में टेलीग्राफ और टेलीफोन का उपयोग होने लगा था।
भारत में टेलीफोन की शुरुआत (Bharat me doorsanchar Sevaye)
भारत में टेलीफोन की शुरुआत सन् 1881-82 ई. में कोलकाता में हुई। 700 लाइनों की क्षमता वाला स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज 1913-14 में शिमला में चालू किया गया। स्वतंत्रता के बाद देश में एक स्वतंत्र दूरसंचार नियामक संस्था की स्थापना की गई। वर्तमान तक आते-आते दूरसंचार के क्षेत्र में भारत ने काफी उन्नति कर ली है।
RAED: कंप्यूटर टेक्नोलॉजी जनरेशन के उदाहरण
फोन की संख्या के आधार पर भारत विश्व में 10वाँ सबसे बड़ा टेलीकॉम नेटवर्क है। 31 मई, 2004 को इस नेटवर्क में 77.93 मिलियन दूरभाष संयोजक व लगभग 1.79 मिलियन पब्लिक दूरभाष कार्यालय (पीसीओ) थे।
मार्च 2004 के अंत तक 31 निजी लाइसेंस धारक व दो सार्वजनिक क्षेत्र के लाइसेंस धारक थे। विश्व के प्रायः सभी देशों के लिए पूर्णत: स्वचालित डायल सेवा (आई.एस.डी.) उपलब्ध है। राष्ट्रीय अंशदायी डायल (एन.एस.डी.) से सम्बद्ध कुल स्टेशनों की संख्या 31.686 है।
भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India)
भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) की स्थापना 1997 में हुई। यह प्राधिकरण दूरसंचार के क्षेत्र में उदारीकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी को देखते हुए तथा समस्त आपरेटरों को समान सुविधाएँ प्रदान करने के लिए एक नियामक की भूमिका के तौर पर गठित किया गया। दूर संचार क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रम निम्नलिखित हैं
भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एम.टी.एन.एल.) विदेश संचार निगम लिमिटेड (बी.एन.एन.एल.) इंडिया टेलीफोन इंडस्ट्रीज (आई.टी. आई.) टेलीकम्युनिकेशन्स कंसल्टेट्स इंडिया लिमिटेड.
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